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फसल सुरक्षा सूत्र - नीमास्त्र
जीरो बजट प्राकृतिक खेती के फसल सुरक्षा सूत्र; नीमास्त्र; अग्नि-अस्त्र; ब्रह्मास्त्र; दशपर्णी अर्क; नीम मलहम; थ्रिप्सरोधी; फफूंदनाशक; सप्त-धान्यांकुर अर्क
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नीमास्त्र बनाने के मुख्य घटक देशी गाय का गोबर व मूत्र एवं नीम के पत्ते, है। नीम का उपयोग सफेद मक्खियों, एफिड्स, जैसीड आदि जैसे पौधों का रस चूसने वाले कीड़ों को नियंत्रित करने के लिए प्रभावशाली है (Patil 2016)। यह दीमक, सूत्रकृमि और अन्य प्रकार के कीड़ों से भी फसल की सुरक्षा करता है (Jagadeesha 2010)। देशी गाय के गोबर व मूत्र का मिश्रण मीली बग के प्रबन्धन में प्रभावशाली है (Jagadeesha 2010)। देशी गाय का मूत्र एफिड व पत्ती हॉपर के प्रति प्रभावशाली हैं (Jagadeesha 2010)।
नीमास्त्र का उपयोग सफेद मक्खियों, एफिड्स, जैसीड, दीमक, सूत्रकृमि, मीली बग के प्रबन्धन में प्रभावशाली है। यह रस चूसने वाले कीड़े, छोटी सुंडी/इल्लियों, रस चूसने वाले, पत्ती हॉपर एवं फली छेदक आदि कीटों को नियन्त्रित करने के लिए के लिए उपयोगी है (Shekhara et al. 2014, Patil 2016)।
नीमास्त्र बनाने के लिए आवश्यक सामग्री
पानी |
200 लीटर |
गौ-मूत्र |
10 लीटर |
गाय का ताजा गोबर |
2 किलोग्राम |
नीम की छोटी टहनीयाँ पत्तों सहित |
10 किलोग्राम |
बनाने की विधि
पानी और गौ-मूत्र मिलाकर उसमें देशी गाय का गोबर मिला लें।
फिर इसमें नीम (Neem) छोटी-छोटी टहनियाँ, पत्तों समेत टुकड़ों में काटकर डालें।
इस घोल को घड़ी की सुईंयों की दिशा में अच्छे से धीरे-धीरे मिलाकर बोरी से ढक दें और 48-96 घण्टे तक छाया में रखें। उस पर धूप या बारिश का पानी नहीं पड़ना चाहिए। दिन में दो बार सुबह-शाम, 1 मिनट तक घड़ी की सुइयों की दिशा में घोलें। 48-96 घण्टे के बाद उसको कपड़े से छान कर भण्डारण करें। इसका 6 महीने तक उपयोग कर सकते हैं। इसमें पानी नहीं मिलाएं, सीधा प्रयोग करें।