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पंचसूत रस
गुण व उपयोग: पंचसूत रस का मुख्य प्रभाव कफ संस्थान पर होता है। यह रस श्वास-कास, आमांश जन्य शूल, दुष्ट एवं कठिन वातरोग, फुफ्फुसावरण शोथ, सन्निपात आदि रोगों में उत्तम लाभ करता है। यह रस कफ को शोषण करने में उत्तम परिणाम देता है। यह उष्णता एवं तीक्ष्णता में न्यून है। यह रस जल शोषक, रूपान्तर कराने वाला, कफ को निर्दोष एवं उसमें साम्यभाव प्रस्थापक, ज्वर एवं शोथ-पीड़ा नाशक है। यह कफ-प्रधान दोष, रस-रक्त-मांस ये दूष्य, फुफ्फुस, फुफ्फुसावरण आदि कफ स्थान, पक्वाशय, बृहदन्त्र, ग्रहणी, सहस्रार, सहस्रारावण, वातवाही नाड़ियाँ, स्नायु रोगों में उत्तम लाभ प्रदान करता है।
मात्रा व अनुपान: 62.5 से 125 मिलीग्राम तक आवश्यकतानुसार, दिन में 2-3 बार अदरक रस, तुलसी पत्र-स्वरस और शहद के साथ अथवा रोगानुसार अनुपान के साथ।
विशेष: यदि कफ के साथ रक्त आता हो तो इस रस का प्रयोग कदापि न करें। तीव्र औषधी होने के कारण इस रस का सावधानी से प्रयोग करना चाहिए।